“वेद-पुराण” हिंदी में यहाँ पढ़ें ऑनलाइन
आप निम्न वेद और पुराणों को अपने मोबाइल या कंप्यूटर पर ऑनलाइन भी पढ़ सकते है|
- ४ वेद: अथर्व वेद, साम वेद, रिग वेद, यजुर वेद
- पुराण: अग्नि पुराण, भागवत पुराण, ब्रह्म पुराण, ब्रह्माण्ड पुराण, गरुडा पुराण, कुर्मा पुराण, लिंग पुराण, मार्कंडयपुराण, मत्स्य पुराण, नारद पुराण, नरसिंह पुराण, पद्मा पुराण, शिव पुराण, स्कन्द पुराण, वैवात्रा पुराण, वामन पुराण, वराह पुराण, विष्णु पुराण |
- महाकाव्य : संक्षिप्त महाभारत, श्री रामचरित मानस, पजांजलि योग प्रदीप, श्रीमद भगवद गीता
वेद-पुराण यहाँ पढ़ें मुफ्त ऑनलाइन
समस्त वेद व पुराण सरल हिन्दी भावार्थ सहित आम जन के हितार्थ इन्टरनेट पर वेदपुराण.कॉम पर उपलब्ध है| साईट पर न केवल आप ऑनलाइन पढ़ सकते है अपितु सारी फाइलें डाउनलोड भी कर सकते है| साईट का मुख्य पृष्ठ आंग्ल में है पर सारे वेद-पुराण हिन्दी भाषा में ही है|
आप यहाँ पढने व डाउनलोड करने के आलावा वेद पुराणों के ऑडियो सुन भी सकते है|
आभार।
धन्यवाद
बहुत सुंदर व स्तुत्य प्रयास है वेड के अध्यान में शब्द ठडे छोटे आ रहे हैं यही खटक रहा है कम नजर वाले हम जैसे लोगो के लिए | जिसने भी यह वेद पुराण साईट बनाई है उसे धन्यवाद कहिये
बहुत बहुत वधाई के पात्र हैं आप -आपका कार्य सराहनीय है
आभार।
आपका कार्य सराहनीय है .. badhai!
धन्यवाद
apni sanskriti se jude rehnaa,
aatmaa ko pehchanne jitna hai.
धन्यवाद
प्रयास सराहनीय है परन्तु प्रत्येक पृष्ठ पर अंतिम दो श्लोकोँ का भावार्थ आप खा गए हैँ, सारा मज़ा किरकिरा हो गया।
नमस्कार भाई हेमराज शर्मा जी ! जय भोले नाथ। इसमें कोई दो राय नहीं कि हम ब्राह्मणों का समाज में मान घटकर उनकी दुर्दशा होने का सबसे बड़ा कारण उनका अहंकार ही है। हमेशा याद रखें कि सच्चा ज्ञान किसी भी इंसान को विनम्रता ही सिखाता है, अहंकारी नहीं। सबसे पहले तो यह बताईये कि क्या अपनी इस मेहनत के एवज में खेतेश्वर जी ने क्या किसी से कोई पैसा भी लिया है? नहीं न? इसलिए मैं इतना तो अवश्य ही कह सकता हूँ कि खेतेश्वर जी ने जो कार्य किया है, वो निश्चित रूप से सराहनीय ही कहा जाना चाहिए। जहाँ तक आपके इस कमेंट का प्रश्न है, उसके लिए इतना कहना ही काफी होगा कि किसी के भी काम में मीनमेख निकलना जितना आसान है, उस काम को करना उतना ही मुश्किल है। वैसे भी वेद-पुराणों का ज्ञान मज़े के लिए नहीं, बल्कि आत्म-ज्ञान अथवा मन की शांति के लिए ही लिया या दिया जाता है। वैसे तो ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और इस विषय पर ज्ञान जितना भी हो मन को शांति तो अवश्य ही देता है। दूसरे क्या इस साइट पर दिए सभी लेखों को आपने पूरा पढ़ कर समझ भी लिया है? अगर पढ़कर ठीक से समझ भी लिया है, तो क्या वो आपको आज तक याद भी है? अगर नहीं, तो आपको उतना सब पढ़ने से भी भला क्या लाभ? इसके अलावा क्या आपको स्वयं उन श्लोकों का अर्थ विस्तार से पता है, जिनका जिक्र आपने किया है? अगर हाँ, तो क्या यह ज्यादा उचित नहीं होता कि आप ऐसा कोई कटाक्ष न करके स्वयं उन श्लोकों को भावार्थ सहित यहाँ पोस्ट करके खेतेश्वर जी के इस पुण्य कार्य में उनकी सहायता करके खुद भी पुण्य कमाते?
टिप्पणी के लिए धन्यवाद,
दरअसल, वेद पुराण कॉम वेबसाइट इंटरनेट पर मैं नहीं कोई और सज्जन/समूह संचालित करते है,
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http://www.vedpuran.com/contactus.asp
aapko agrasen vansaj ramesh singhal ka koti koti naman
प्रणाम,
आपको टिपण्णी के लिए धन्यवाद
बहुत उपयोगी जानकारी
मेरे ब्लॉग पर पधारे Hinditime Hindiblog