सत्य की खोज में मनुष्य वर्षों से अनवरत प्रयासरत है | जप, तप, योग, दान, सत्साहित्य पठन और सत्संग सहित अनेको प्रकार से वह अपने को उस परमात्मा से जोड़ने का प्रयास करता रहा है |
इसका मूल कारण यह है कि हर मनुष्य उस परम पिता परमात्मा की ही संतान है और उससे दूर चला गया है | उस परमात्मा से दूर जाने के कारण मनुष्य अपनी शांति, शक्ति और गुण खो बैठा है और उस परमात्मा को जान और उससे जुड़ कर पुनः उन गुणों, शक्तियों और शांति को हासिल करना चाहता है |
लेकिन परमात्मा का परिचय केवल परमात्मा स्वयं ही दे सकते है, कोई भी मनुष्य परमात्मा के ज्ञान को पार नहीं पा सकता है |
आज विश्व की सभी धर्मो की आत्माओं के पिता परमात्मा अपने बच्चों से कुछ कह रहे है, वे अपने स्वरुप, धाम, समय और हर आत्मा को उसके मूल ज्ञान से परिचित करवा सबका कल्याण कर रहे है.
परमात्मा और स्वयं आत्मा के ज्ञान को विस्तार पूर्वक जानने और परमात्मा से सम्बन्ध यानि योग की कला ‘राजयोग’ सीखने और अध्यात्मिक ज्ञान के फ्री कोर्स के लिये आप निम्न “अध्यात्मिक सेवा केन्द्रों” पर भी संपर्क कर सकते है.
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