अगर किसी एक पुस्तक ने भारतीय संस्कृति और दर्शन को देश विदेश के लोगों के सामने रखने में सबसे अधिक सफलता प्राप्त की है तो वह पुस्तक है ‘एक योगी की आत्मकथा’|
इस पुस्तक में परमहन्स योगानन्दजी ने अपने जीवन के दिव्य अनुभवों, विदेश यात्राओं, विलक्षण विभूतियों के बारे में बहुत ही सटीक और स्पष्ट तरीके से लिखा है|
यह पुस्तक अनगिनत आध्यात्म के जिज्ञासुओं को अपनी आत्मिक जाग्रति की यात्रा में नए स्तर पर पहुँचाने में सफल रही है.