जी हाँ, आप बिलकुल सही सुन रहें हैं। अब आप बिना किताब को खोले भी उसे पढ़ सकतें हैं। इस सपने को सच कर दिखाया है, विश्व की सबसे बड़े तकनीकि विश्विद्यालय मेसच्युसेट (एमआईटी) के शोधकर्ताओं ने।
इंफ़्रा-रेड तरंगों पर आधारिक तकनीक से ये हुआ सम्भव
इसके लिए इन्होंने माइक्रोवेव और इन्फ्रारेड प्रकाश तरंगों के बीच की टेराहर्ट्ज़ नाम की तरंगों का इस्तेमाल किया है।इस प्रोजेक्ट के कर्ताधर्ता बेरमाक हेशमट एमआईटी की मीडिया लैब में रीसर्च साइंटिस्ट के तौर पर कार्यरत हैं। इस टेक्नालॉजी से बिना किताब खोले ही उसे पढ़ा जा सके। इसका उपयोग कई कामों के लिए हो सकता है, जैसे पुरानी जर्जर किताब को खोलने की जरूरत भी नहीं होगी, उसका अध्ययन वैसे ही किया जा सकेगा।
इससे पुरानी जर्जर पुस्तकों को डिजिटल बनाना होगा आसान
बिना लिफाफा खोले भी गोपनीय चिट्ठीयां पढ़ी जा सकेगी। दरअसल, दुनिया भर में कई ऐसी लाइब्रेरी हैं जहां ऐसी किताबें हैं जो सदियों पुरानी हैं और इनके रख-रखाव करने वाले नहीं चाहते कि कोई इन्हें छुए भी। इनका रखरखाव तो मुश्किल है ही, इन सबके डिजिटल प्रिंट रखना मुश्किल हो रहा है क्योंकि यह काफी खर्चीला काम भी है।शोध-अनुसंधान के दौरान भी जब-तब पुरानी किताबें मिलती रहती हैं। इन्हें पलटना भी मुश्किल होता है। डर रहता है कि ये कहीं नष्ट न हो जाएं। लेकिन अब इसकी चिंता करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।