रिलायंस जियो आज इस नाम से भारत में कौन वाकिफ नहीं है और बहुत ही काम ऐसे 4जी यूज़र्स होंगे जिनके पास जियो की सिम नहीं है। हाँ लेकिन लेने का प्रयास तो सभी ने किया होगा। जियो सिम की ऑफिसियल लॉन्चिंग सितम्बर में हुई जिसके बाद जियो ने एक वर्ल्ड रिकॉर्ड का दावा किया है कि इस कंपनी ने लॉन्चिंग में मात्र 26 दिनों के भीतर लगभग 16 मिलियन नए ग्राहकों को जोड़ लिया।
यह बहुत बड़ी बात नहीं है, क्योंकि कंपनी के मालिक मुकेश अंबानी ने 1 जनवरी 2017 से पहले 100 मिलियन नए ग्राहकों को जोड़ने का अपना संकल्प भारत की आवाम के सामने रखा था। लेकिन जियो सिम की घटती उपलब्धता और बढ़ती मांग और उसके साथ जो मौजूद उपभोक्ता है उनकी बढ़ती शिकायतों ने जियो के लिए नयी मुसीबतें खड़ी कर दी हैं।
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चूँकि 31 दिसम्बर, 2016 तक जियो की सुविधाएं मुफ्त है और इसीलिए ग्राहक इसके लिए कोई खास शिकायत भी नहीं कर रहें, लेकिन नए साल से जब ग्राहकों को इन सुविधाओं के लिए पैसे देने पड़ेंगे, तो ऐसे समय में ये दिक्कतें जियो के अस्तित्व के लिए खतरा बन सकती हैं।
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जियो नेटवर्क्स में बढ़ रही है कॉल ड्रॉप्स
मुकेश अंबानी ने अपनी एजीएम मीटिंग में कहा था कि जियो नेटवर्क भविष्य के लिए तैयार है ये 5जी और 6 जी और उससे भी ऊपर की सुविधाओं को सपोर्ट करेगा। लेकिन मौजूदा हालात को देखकर ऐसा नहीं लगता। जियो ने खुद बताया कि उसे प्रतिदिन 16 मिलियन कॉल ड्रॉप्स का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसे में बढ़ती कॉल ड्रॉप्स ग्राहकों का जीव में रुझान काम कर सकतीं हैं। जियो का कहना है कि उसे दूसरी कंपनियों का इंटरकनेक्ट सपोर्ट नहीं मिल रहा। लेकिन ग्राहकों को इससे मतलब नहीं होता वो तो बस इतना जानते हैं, कि कॉल लग रही है या नहीं लग रही है।
ऐसे में ग्राहकों को बढ़ाने से कहीं अच्छा सुझाव होगा, नेटवर्क की क्वालिटी में सुधार करना। अगर जियो ऐसा करने में सफल हुआ तो 100 मिलियन तो छोड़िए देश की 1 बिलियन आबादी भी जीयो ही इस्तेमाल करेगी।