एक्सपायरी डेट निकलने के बाद गैस सिलेण्डर को इस्तेमाल करना बम की तरह खरतनाक होता है. सामान्यतः गैस सिलेण्डर की रिफील लेते समय उपभोक्ताओं का ध्यान इसके वजन और सील पर ही होता है. उन्हें सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट की जानकारी तो उनके लिए पहेली है. ज्यादातर उपभोक्ता तो जानते ही नहीं, तो गैस सिलिंडर के फटने का एक कारण यह भी हो सकता है।
इसी का फायदा एलपीजी की आपूर्ति करने वाली कंपनियां उठाती हैं और धड़ल्ले से एक्पायरी डेट वाले सिलेण्डर रिफील कर हमारे घरों तक पहुंचाती हैं। यहीं कारण है कि गैस सिलेण्डरों से हादसे होते हैं।
ऐसे जानें गैस सिलेंडर की एक्सपायरी डेट
सिलिण्डर के उपरी भाग जहां पर पकड़ने के लिए गोल रिंग बनी होती है और इसके नीचे तीन पट्टियों में से एक पर काले रंग (ब्लैक कलर) से सिलेण्डर की एक्सपायरी डेट अंकित होती है. इसके तहत अंग्रेजी में A, B, C तथा D लिखा होता है और तथा साथ में दो अंक(1,2,3,…0) लिखे होते हैं.
- A अक्षर साल की पहली तिमाही (जनवरी से मार्च)
- B साल की दूसरी तिमाही (अप्रेल से जून)
- C साल की तीसरी तिमाही (जुलाई से सितम्बर)
- D साल की चौथी तिमाही अर्थात अक्टूबर से दिसंबर को दर्शाते हैं.
इसके बाद लिखे हुए दो अंक एक्सपायरी वर्ष को बताने के लिए हैं.