इन बातों को धारण करके बनें महान
आज आपको कुछ ऐसी बात बतायेंगे तो आपको किसी और इंसान से अलग करेंगी। ये बातें महान लोगों की बातें होती हैं। कृपया करके इन्हें पढ़ने के साथ साथ इन पर अमल भी करें।
1. कभी भी भूल कर भी अपने मन के गुलाम नहीं बनें। अपने मन के स्वामी बनो।अपनी कुछ तुच्छ इच्छाओं की पूर्ति के लिए कभी भी स्वार्थी नहीं बनना चाहिए।2. किसी का भी तिरस्कार, उपेक्षा या हँसी-मजाक कभी नहीं उडाना चाहिए। और ना उनकी की निंदा करनी चाहिए।
3. किसी भी व्यक्ति की परिस्थितियों को मजाक नहीं उडाना चाहिए क्योंकि समय बहुत बलवान होता है।
4. मुश्किलों और परिस्थितियों से कभी न डरो। हमेशा हिम्मत से उसका सामना करना चाहिए। एक बात याद रखना चाहे तो हार होगी या फिर जीत होगी।5. हमारे समाज में हमारी बातचीत के अलावा हमारे वस्त्र का बड़ा महत्त्व होता है। शौकीनी तथा फैशन के वस्त्र और ज्यादा तीव्र सुगंध के तेल या सेंट का उपयोग ना करें। हमारे रहन-सहन और वेश-भूषा में सादगी होनी चाहिए। वस्त्र हमेशा स्वच्छ और सादे होने चाहिए।
6. दोस्तो फटे हुए कपड़ों को सिलकर भी उपयोग में लाया जा सकता हैं। लेकिन वे कपडे स्वच्छ अवश्य होने चाहिए।
7. दोस्त आप जैसे लोगों का साथ रखोगे तो लोग आपको भी उन जैसा ही समझेंगे। मेरा कहने का मतलब ये है की बुरे लोगों का साथ सदा के लिए छोड़कर अच्छे लोगों की संगति में ही रहो।
8. अपने या पराये प्रत्येक काम पूरे आत्मविश्वास के साथ से करना चाहिए। कभी भी किसी काम को छोटा समझकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। कोई काम छोटा या बडा नही होता। हमारी सोच ही उसे छोटा या बड़ा बनाती है।
9. कभी भी अंधे, काने और लूले-लँगड़े का मजाक नहीं उडाना चाहिए। बल्कि उनके साथ तो सहानुभूति पूर्वक बर्ताव करना चाहिए।
10. भटके हुए राही को रास्ता पूछने पर यदि आप रास्ता जानते हो तो उसे सही मार्ग दिखा देना चाहिए।
11. जब भी किसी के घर पर जाओ तो उनसे बीना पूछे कभी भी वस्तुओं को मत छुओ। हमेशा ही पूछकर ही उन्हें छुओ।
12. हमेशा सड़क पर चलते समय बायीं ओर से चलो। कभी भी सड़क मार्ग में खड़े होकर बातें मत करिए। बात करना जरूरी हो तो किसी एक किनारे पर खड़े होकर करें । किसी भी मार्ग में यदि काँटें, काँच के टुकड़े पड़े मिले तो उन्हें वहाँ से हटा दो।13. हमेशा दीन असहायों और ज़रूरतमंदों की जैसी भी आपसे सहायता और सेवा हो सके वो अवश्य करो। किसी की भी उपेक्षा मत करो।
14. किसी भी देश के झंडे, राष्ट्रगीत, धर्मग्रन्थ और महापुरूषों का अपमान नहीं करना चाहिए। उनके प्रति हमेशा आदर रखो।
15. जब भी किसी के घर अतिथि बनकर जाओ तो हमेशा एक बात याद रखनी चाहिए की उनके वहाँ जो भोजन आदि मिले उसकी प्रशंसा जरूर करें और आदर सहित ग्रहण करें।
Doston Me Aapse Sirf Itna Hi Kahna Chahunga Ki Khud Ke Liye To Sabhi Log Jeetey Hai Lekin Jo Dusron Ke Liye Jite Hai Wo Hi Log Mahaan Hai