रेल यात्रा के दौरान सामान का चोरी होना आम बात है. हर दिन चोरी की वारदात घटती रहती है. इसको रोकने के लिए रेलवे की ओर से कोई पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए हैं. शायद इसी वजह से यात्रा करने के दौरान लिखा रहता है कि यात्री अपने सामान की सुरक्षा स्वयं करें. लेकिन हम भी अपने सामान की रक्षा नहीं कर पाते हैं.
आज हम आपको बता दें कि सामान रक्षा की जिम्मेदारी जितनी हमारी है, उससे कहीं ज्यादा जिम्मेदारी रेलवे की भी है. सूचना अधिकार के मुताबिक रेलवे को चोरी हुआ सामान का हर्जाना देना होगा. इस तरह के प्रावधानों को यात्रियों के सुरक्षा हेतु बनाया गया है. इसकी जानकारी हर किसी को रखनी चाहिए.
सर्वोच्च न्यायालय का फैसला-
सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश ने रेल यात्रियों को यह सुविधा दिला दी है. इसके लिए पीड़ित यात्री को उपभोक्ता फोरम में रेलवे की सेवा में कमी का मामला दायर करना होगा. इसके बाद तमाम प्रक्रिया के बाद सामान मिल जाएगा.
बता दें कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के मुताबिक रिजर्व कोच में अनाधिकृत व्यक्ति का प्रवेश रोकना टीटीई की जिम्मेदारी है और अगर वह इसमें नाकाम रहता है, तो रेलवे सेवा में खामी मानी जाएगी.
ऐसे मिला अधिकार-
फरवरी 2014 में राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने ट्रेन से चोरी गए महिला डॉक्टर के सामान की राशि का भुगतान रेलवे को करने का आदेश दिया. रेलवे ने इस पर दलील दी की “ये मामला रेलवे क्लेम टिब्यूनल में ही सुना जा सकता है. ” जबकि यात्री के वकील के मुताबिक टिब्यूनल में सिर्फ रेलवे में बुक पार्सल के मामलों को ही सुना जाता है.
न्यायमूर्ति सीके प्रसाद और पिनाकी चंद्र घोष की पीठ ने 17 साल पुराने इस मामले में रेलवे की दलील को खारिज कर दिया और राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के फैसले में दखल देने से इंकार कर दिया.
जीआरपी पुलिस का कहना-
जबलपुर जीआरपी का कहना है कि 1 अप्रैल, 2014 के बाद यह आदेश जारी हुआ और 6 माह बाद सामान मिल जाएगा.
6 माह करना होगा इंतजार-
चोरी गए सामान को तलाशने के लिए जीआरपी के पास 6 माह का वक्त होगा. इस दरमियान यदि पुलिस पीड़ित का सामान नहीं तलाश पाती तो वह उपभोक्ता फोरम जा सकता है. इसके लिए एफआईआर दर्ज कराते समय पुलिस को पीड़ित से उपभोक्ता फोरम फार्म भरवाना होगा.
यात्री यह ना भूलें-
ओरिजनल कॉपी पीड़ित के पास होगी और पुलिस कार्बन कॉपी अपने पास रखेगी.
एफआईआर और फार्म ही यात्री का मूल दस्तावेज होगा. जिसके आधार वह केस दर्ज कराएगा.
यह सुविधा सिर्फ स्लीपर या एसी कोच में रिजर्वेशन कराने वाले यात्रियों के लिए है.
उपभोक्ता फोरम वकील का कहना-
- उपभोक्ता फोरम के जानकार एडवोकेट बताते हैं कि रिजर्वेशन के दौरान यात्री से 2 रुपए सुरक्षा शुल्क लिया जाता है.
- इधर ट्रेन में स्लीपर कोच यात्री को दिया जाता है, जिसके बाद यह तय होता है कि आपने उसे ट्रेन में सोने का अधिकार दिया है और इस दौरान जो भी घटना होती है, उसका जिम्मेदार रेलवे ही होगा.
- ट्रेन के स्लीपर या एसी कोच में यात्रा करते समय यात्री का सामान चोरी होता है तो शिकायत दर्ज करते वक्त उससे उपभोक्ता फोरम का फार्म भरवाया जाता है.
- यदि 6 माह तक पुलिस उसका सामान नहीं तलाश पाती तो वह फार्म की कॉपी ले जाकर उपभोक्ता फोरम में मामला दर्ज कर सकता है, जहां पर रेलवे को पीड़ित का हर्जाना देना होगा.
Centralised numbers released by Indian Railways for citizen convinience-
9760534983 : टीटीई, आरक्षण और भोजन
9760500000 : साफ-सफाई
9760534057 : कोच में समस्या
9760534060 : बिजली से जुड़ी समस्या
9920142151 : इंक्वायरी की समस्या
9760534063 : आरपीएफ एवं सुरक्षा
9760534069 : पेयजल व्यवस्था
9760534073 : चिकित्सा
achi jankari hai:-) 🙂 🙂