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जानिए स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में
मिशन के उदघाटन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उद्बोधन के मूलपाठ
उपस्थित सभी महानुभाव और इस सभागृह के बाहर भी Technology के माध्यम से जुड़़े हुए और यहां उपस्थित सभी मेरे युवा मित्रों
आज पूरा विश्व ‘विश्व युवा कौशल दिवस’ मना रहा है। भारत भी उस अवसर पर एक महत्वपूर्ण कदम उठा रहा है। कुछ दिन पूर्व पूरे विश्व ने अंतर्राष्ट्रीय योगा दिवस मनाया और हमारे देश के लोगों को ताज्जुब हुआ कि दुनिया हमारी तरफ, इस तरफ देख रही है क्या? हमें कभी विश्वास ही नहीं था कि विश्व कभी हमारी तरफ भी गर्व के साथ देखता है। विश्व योगा दिवस पर हमने अनुभव किया कि आज पूरा विश्व भारत के प्रति एक बड़े आदर और गौरव के साथ देखता है।
हमारे यहां शिक्षा के संबंध में बहुत सारी चर्चाएं होती रहती हैं कि जितने बच्चे स्कूल जाते हैं। Secondary में उससे कम हो जाते हैं, Higher Secondary में उससे कम हो जाते हैं। Colleges में वो संख्या और गिर जाती है और toppertopper तो बहुत कम लोग पहुंचते हैं। तो ये सब जाते कहां है और जो जाते हैं उनका क्या होता है? जो ऊपर जाएं उनकी तो सब प्रकार की चिन्ता होती है। लेकिन जो रह जाए उसकी भी तो होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए। ये हमारा Mission उन लोगों के लिए है, जो रह जाते हैं। और रह कौन जाते हैं? अमीर परिवार का बच्चा नहीं रह जाता। उसको तो कुछ न कुछ मिल जाता है। पैतृक परंपरा से। जो रह जाता है वो गरीब का बच्चा होता है, और एक प्रकार से हमने बहुत योजनापूर्वक गरीबी के खिलाफ एक जंग छेड़ी है। और ये जंग जीतना है। और ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतने के लिए गरीब की ही मुझे फौज बनानी है। हर गरीब मेरा फौजी है, हर गरीब नौजवान मेरा फौजी है। उन्हीं की ताकत से, उन्हीं के बलबूते पर ये गरीबी के खिलाफ जंग जीतना है।
आज देश का कोई नौजवान हाथ फैला करके कुछ मांगने के लिए तैयार नहीं है। वो दयनीय जिंदगी जीना नहीं चाहता। वो आत्म-सम्मान से जीना चाहता है, वो गर्व से जीना चाहता है। skill, कौशल्य, सामर्थ्य ये सिर्फ जेब में रुपया लाता है, ऐसा नहीं है। वो जीवन में आत्मविश्वास भर देता है। जीवन में एक नई ताकत भर देता है। उसे भरोसा होता है कि दुनिया में कहीं पर भी जाऊंगा मेरे पास ये ताकत है, मैं अपना पेट भर लूंगा, मैं कभी भीख नहीं मांगूगा। ये सामर्थ्य उसके भीतर आता है और इसलिए ये Skill Development ये सिर्फ पेट भरने के लिए जेब भरने का कार्यक्रम नहीं है। ये हमारे गरीब परिवारों में एक नया आत्मविश्वास भरना और देश में एक नई ऊर्जा लाने का प्रयास है।
हमारे यहां सालों से, सदियों से हमने सुना है। अमीर परिवारों में क्या बात होती है वो तो हमें मालूम नहीं है। लेकिन हम जिस समाज, जीवन से आते है। हम अक्सर सुना करते थे हमारे परिवार में अगल-बगल में सब कुछ हमारे पिताजी और हमारे नौजवान साथियों के पिताजी यही कहते थे, अरे भाई कुछ काम सीखो। अपने पैरों पर खड़े हो जाना।
हमारे देश में मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग, गरीब परिवारों में ये सहज बोला जाता है। 12 से 15 साल का बच्चा हुआ तो मां-बाप यही कहते है कि अरे, भई कुछ काम सीखो, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। अगर जो बात हमारे घर-घर में गूंजती है वो सरकार के कानों तक क्यों नहीं पहुंचती है और हमने उस आवाज को सुना है, उस दर्द को सुना है। जो हर मां-बाप के मन में रहता है कि बेटा या बेटी कुछ काम सीखे अपने पैरों पर खड़े हो जाएं। एक बार अपने संतान पैरों पर खड़े हो जाएं तो गरीब परिवार के मां-बाप को लगता है कि चलिए जिंदगी धन्य हो गई। ये उसके मकसद में रहता है। उसका कोई मकसद कोई बहुत बड़ी बंगला बना करके, बहुत बड़ी गाड़ियां खड़ी करदे वो नहीं रहता है। Skill Mission के द्वारा हमारी कोशिश है, उन सपनों को पूरा करना और इसलिए एक structure way में एक organised way में राज्यों को साथ ले करके एक नए सिरे से इस काम को हम आगे बढ़ाऐंगे।
पिछली शताब्दी में, दुनिया के अंदर हमने IIT के माध्यम से विश्व में अपना नाम बनाया है, दुनिया ने हमारी IIT को एक अच्छे institution के रूप में स्वीकार किया , हमें गर्व है इस बात का लेकिन इस शताब्दी में हमारी आवश्यकता है ITI की , अगर पिछली शताब्दी में IIT ने दुनिया में नाम कमाया, तो इस शताब्दी में हमारी छोटी, छोटी IIT की इकाइयां ये दुनिया में नाम कमाएं ये सपना ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
हम कहते हैं कि हमारे पास 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है, अगर उसके पास कौशल्य नहीं होगा, उसके पास अगर अवसर नहीं होंगे तो चुनौतियों को कैसे पार कर पाएगा। अगर वो चुनौतियों को पार नहीं कर पाएगा, तो हमारे लिए वो खुद एक चुनौती बन जाएगा और इसलिए भारत के लिए सबसे पहली अगर कोई प्राथमिकता है तो देश के नौजवानों के लिए रोजगार उपलब्ध कराना है । रोजगार के योग्य नौजवानों को तैयार करना है । रोजगार के योग्य नौजवान को तैयार करने के लिए पूरा एक mechanism, एक व्यवस्था एक structure तैयार करना, इस mission के द्वारा उन सभी आवश्यकताओं को पूर्ति करने का प्रयास करना। हम विश्व के युवा देश हैं, दुनिया के बहुत देश हैं जहां समृद्धि बहुत है लेकिन लोग नहीं हैं। घर में चार गाड़ी होंगी लेकिन चलाए कौन ये चिन्ता का विषय है।
दुनिया को जो workforce की जरूरत पड़ने वाली है हम लिख करके रखें आने वाले दशकों में विश्व को सबसे ज्यादा workforce अगर कहीं से मिलेगा तो हिन्दुस्तान से मिलेगा। दुनिया की मांग हमारे सामने स्पष्ट है कि दुनिया को जरूरत पड़ने वाली है लेकिन क्या हम उसके लिए सज्ज हैं क्या। हमने तैयारी की है क्या। ज्यादा से ज्यादा अभी हमारा ध्यान अभी nursing staff की तरफ रहता है। आप देखिए तो nursing staff के लोग जाते हैं या हमारे जो message का काम करने वाले लोग हैं जो gulf countries में गए हैं उसी के इर्द-गिर्द हमारा चला है। हमें न सिर्फ भारत को लेकिन पूरे विश्व की human resource की requirement का mapping करके भारत में अभी से सज्ज करना चाहिए कि चलिए आपको nursing में Para-medical के लोग चाहिएं ये हमारी 25 institution हैं, certified institution हैं, यहां से नौजवानों को ले जाइए आपका काम चलाइए। हमें विश्व की जो आवश्यकताएं हैं, एक बहुत बड़ा job market है, वो job market को वैज्ञानिक तरीके से अध्ययन करके हमने अपने लोगों को तैयार करना है। आज हमारे यहां क्या हालत है, हममें से बहुत लोग होंगे जिनको एक बात का अनुभव आया होगा यहां बैठे हुए, कभी न कभी अपने दोस्तों को कहा होगा यार देखो तुम्हारे यहां कोई अच्छा driver मिले तो मेरे पास driver नहीं है। अब ये सवाल का जवाब हमें ढूंढना है कि देश में नौजवान हैं, बेरोजगार हैं, और वो driver के बिना परेशान हैं। क्या हम रास्ता नहीं खोज सकते क्या। और आज फिर क्या होता है कि वो परम्परा से कहीं पर गाड़ी साफ करते-करते गियर बदलना सीख जाता है और steering पकड़ के तो हम कभी कभी risk ririsk लेके उसे रख लेते हैं। अब हमारी गाड़ी का कोई वो training institute बना करके वो सीखता है और कभी-कभार हमारा risk भी रहता है। क्या हम इन लोगों को certify करने की व्यवस्था कर सकते हैं जो अपने तरीके से परम्परागत सीख सके किसी institution में नहीं गए लेकिन कम से कम जो उसको रखता है उसको पता चले कि हां भाई ये इसके पास ये certificate है मतलब कहीं उसका exam हो चुका है। भले अपने आप सीखा हो। आज उम्र भले 35-40 पार कर गया हो लेकिन उसको लगता है के भई मेरे पास कोई authority नहीं है, कोई identity नहीं है, तो ये सरकार ये व्यवस्था करने जा रही है के भले आप परम्परा से सीखे हो लेकिन अगर आप basic norms को पार करते हो तो हम आपको certificate देंगे जो certificate किसी engineer से कम नहीं होगा, मैं विश्वास से कहता हूं। अब ये बड़ी कठिनाई है, सब्बरवाल बता रहे थे कि हर कोई कहता है भई अनुभव क्या है, वो कहता है पहले काम तो दो फिर मैं अनुभव का बताऊं। पहले मुर्गा कि पहले अंडा, इसी का बहस चल रहा है, नौकरी नहीं अनुभव नहीं, अनुभव नहीं इसलिए नौकरी नहीं, ये ही चलता रहता है।
हमारे साथ हमारी हां आवश्यकता है entrepreneurship को बल देना। कभी-कभी उद्योग जगत के लोग भी entrepreneur को रखने से डरते हैं, उनको लगता है यार रख लूंगा और सरकार का कोई साहब आके सर गिनेगा और ज्यादा हो गए तो मर गया मेरे कारखाने को ताला लग जाएगा, तो रखने को तैयार नहीं है । कानून की जकड़न भी कभी-कभी ऐसी है कि हमारे नौजवानों को जगह नहीं मिलती। हम चाहते हैं कि देश में रोजगारों का अवसर बढ़े। जो entrepreneurship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जो apprenticeship के लिए जाना चाहता है उसको अवसर मिले। जब तक उसको ये अवसर नहीं मिलेगा अनुभव आएगा नहीं। और इससे हमारी कोशिश है के apprenticeship को कैसे बढ़ावा दें। इस पूरे mission को हमनें skill तक सीमित नहीं रखा। इसके साथ entrepreneurship को जोड़ा। क्योंकि हम ये नहीं चाहते कि हर कोई बने तो बस कहीं-कहीं नौकरी खोजता रहे, जरूरी नहीं है। एक ड्राईवर भी entrepreneur बन सकता है। वो भी contract पर गाड़ी लेके sub-contractor बनके गाड़ी चला सकता है। हम उसके अंदर ये skill लाना चाहते हैं। जिस प्रकार से कभी-कभार क्या होता है जब तक आप value addition नहीं करते आप कुछ भी नहीं कर सकते। मान लीजिए आपको driving आता है लेकिन आप उसको कहते हो साहब मुझे computer का typing भी आता है। तो तुरन्त कहे अच्छा-अच्छा भई ये भी आता है, तो चलो-चलो फिर जब driving का काम पूरा होगा तो कम्प्यूटर करते रहना। तो जब उसको पता चले extra quality है तो उसका value बढ़ जाता है। हम चाहते हैं कि skill में multiple activity की ताकत उसकी हो। मैं देख रहा हूं मुझे कोई बता रहा था, बहुत समय हुआ कोई एक नौजवान था, plumber था, तो plumber के नाते जो काम मिलता था वो करता रहता था, लेकिन उसने धीरे-धीरे अपने-आपको yoga trainer के लिए तैयार किया और मजा ये है कि सुबह एक-दो घंटे yoga trainer के लिए जा करके वो ज्यादा कमाता था, जबकि plumber से बाद में कम। फिर क्या हुआ वो yoga training के साथ अब plumber भी जुड़ गया तो जहां yoga training करता है वो ही लोग को कहें यार देखो उधर plumber की जरूरत है तुम चले जाओ। उसने एक नई चीज सीखी। दोनों चीजें ऐसी हैं कि जिसमें उसको कोई college की degree की जरूरत नहीं थी। वो कमाना शुरू कर दिया। हम चाहते हैं कि देश के अन्दर इन बातों को कैसे भरोसा करें। आने वाले दिनों में पूरे विश्व में, पूरे विश्व में करोड़ों-करोड़ों की तादाद में workforce की requirement है। और अगले दशक में हमारे पास चार-साढ़े चार, पांच करोड़ के करीब लोग surplus होंगे workforce हमारे पास। अगर हम ये mismatch को दूर करते हैं, हम आवश्यकता के अनुसार उसको तैयार करते हैं तो हमारे नौजवानों को रोजगार के लिए अवसर मिलेंगे। कभी-कभार क्या होता है कि एक area है जहां chemical की industry आ रही है लेकिन वहां पर क्या पढ़ाया जाता है तो automobile पढ़ाया जाता है। अब उसको वहां job मिलती नहीं है। हमें mapping करना होगा कि काम किया है, बहुत बड़ी मात्रा में काम हुआ है कि किस इलाके में हमारा क्या potential है, क्या-क्या establishment है, वहां पर किस प्रकार की requirement है। हम उस प्रकार का human resource training करेंगे ताकि उसको walk to work के लिए वो तैयार हो जाएं, उसको अपने घर के पास ही काम-काज मिल जाए तो उसको आर्थिक रूप से ज्यादा बोझ नहीं बनता है। नहीं तो होता क्या है कि जो चीज को सीखता है उसके 100 किलोमीटर की range में वो काम ही नहीं होता। मुझे याद है जब मैं गुजरात में काम करता था, शुरू-शुरू में मैंने देखा automobile में वो चीजें पढ़ाई जाती थीं जो गाडि़यां बाजार में थीं ही नहीं। हमारी technology थी। खैर बाद में तो course बदल दिए सब, जो trainers थे उनकी भी training की, काफी कुछ बदलाव लाना पड़ा, लेकिन आज भी शायद कई जगह पर बहुत जगह पर ऐसा हो। और इसलिए आवश्यक हैं कि हमारी सारी training institutes को dynamic बनाना है। टेक्नोलॉजी इतनी तेजी से बदल रही है, अगर हमारी training dynamic नहीं होगी तो हमारा वो व्यक्ति relevant नहीं रहेगा। पुराने जमाने के cook को आज oven चलाना नहीं आता है तो घर में वो cook काम नहीं करेगा। उसको आना चाहिए, oven क्या, सीखना पड़ता है हर चीज को, additional training आवश्यक होती है और इसलिए dynamics बहुत आवश्यक है उसके लिए । हम जिस training की ओर बल दे रहे हैं उसकी दिशा में हमारा प्रयास है। कौशल्य के संबंध में भारत की पहचान सदियों से रही है। हमने अपनी इस विधा को भुला दिया है। सदियों पहले हमारे यहां, हमारी विशेषताओं को कितना माना जाता था। हमारे कौशल्य की ताकत को माना जाता था। हमने फिर से एक बार उसको regain करना है। अगर आज दुनिया में चीन ने अपनी ये पहचान बनाई है कि चीन की एक पहचान बन गई है कि जैसे वो दुनिया की manufacturing factory बन गया है। अगर चीन की पहचान दुनिया की manufacturing factory की है तो हिन्दुस्तान की पहचान दुनिया की required human resource का capital बनने की बन सकती है। हमारे पास जो ताकत है उस पर हमें बल देना है। हम अपनी ताकत पर जितना हम जोर लगाएंगे हम चीजों को उतना प्राप्त कर पाएंगे और इसलिए हमारी कोशिश यह है कि हम mapping करके, human resource की requirement के अनुसार training करें। और हमें पता होना चाहिए। आज, आज भी मैं बताता हूं आज देश में लाखों की तादाद में trained drivers नहीं है। देश को जितने trained drivers चाहिए, उसकी perfect training के लिए जिस प्रकार की आधुनिक व्यवस्था चाहिए वो व्यवस्था भी उपलब्ध नहीं है। फिर तो वो चलते-चलते सीखता रहता है। कहने का तात्पर्य यह है कि बेरोजगारी का कोई कारण नहीं है। अगर हम रोजगार को ध्यान में रखते हुए, विकास के मॉडल को ध्यान में रखते हुए human resource development के design तैयार करें। अगर इन तीनों को जोड़ करके प्रयास करें।
कभी-कभार क्या होता है कि जो इस प्रकार के training institutions हैं उनको ये पता नहीं होता कि दुनिया कैसे बदल रही है। वो अपना पुराने ढर्रे से चलते हैं। आवश्यकता है जैसे आज यहां है, यहां पर रोजगार देने वाले लोग भी बैठे है, रोजगार लेने वाले भी मौजूद हैं और रोजगारी के योग्य नौजवानों को तैयार करने वाले लोग भी मौजूद हैं और इन सारी चीजों के लिए नीति निर्धारण करने वाले लोग भी मौजूद हैं। इस सभागृह में सब प्रकार के लोग हैं। क्यों, ये हमें आदत बनानी होगी। हमारे उद्योग जगत के लोगों के साथ, हमारे technical world के साथ लगातार हमें बैठना पड़ेगा। उनसे पूछना पड़ेगा कि क्या लगता है Next ten year किस प्रकार की चीजें आप देख रहे हैं। वो कहते है next ten year ऐसा ऐसा आने वाला है। ऐसी ऐसी संभावना है तो हमें हमारा syllabus अभी से उसी प्रकार ऐसा बनाना चाहिए। हमारी training institution को ऊपर से तैयार करनी चाहिए तो यहां हमारा training के institutions से लोग बाहर निकले और वहां पर जाते ही उनको नई technology आ गई है तो placement मिल जाएगा। तो हमने futuristic vision के साथ हमने यह सोचना होगा कि next ten year के development की design क्या है, कौन सी technology काम करने वाली है, किस प्रकार से व्यवस्था बनाने वाली है, हमारा human resource development according to that होना चाहिए। अगर हमारा human resource development according to that होता है तो मैं नहीं मानता हूं कि बेरोजगारी का कोई कारण बनता है, उसको रोजगार मिलता है। कैसी training से कितना फर्क होता है, मैं अपने अनुभव कुछ शेयर करना चाहता हूं। गुजरात के लोग, मैं गुजरात में था इसलिए वहां का उदाहरण दे रहा हूं। सेना में बहुत कम जाते हैं। अब वो उनका development ही अलग है। लेकिन हमने सोचा है भई क्यों न हो हमारे लोग क्यों न सेना में जाएं। तो मैंने जरा पूछताछ की, कि क्या problem है भई। नहीं बोले जब physical exercise और exam होते हैं उसी में fail हो जाते हैं। तो उनको बोले वो आते हैं तो हमारा उसमें scope है, कोटा है लेकिन हमें मौका नहीं मिलता है। तो मैंने क्या किया army के कुछ retired अफसरों को बुलाया। हमने कहा भई हमारे जो tribal belt है वहां के नौजवानों को तुम trained करो कि exam कैसे पास करते हैं। सब हमारा मेल बैठ गया। उन्होंने training के camp लगाने शुरू किए। एक-एक महीने के camp लगाते गए और जब भर्ती होने लगी तो करीब जो 5-7 percent लोग हमारे मुश्किल से जाते थे। 35-40 percent तक पहुंचा दिया था। training मात्र से। उनको समझाया कि भई ऐसे दौड़ते हैं, सीना ऐसे करते हैं, जरा एक-दो चीजें तुम्हें करना आ जाएगी तुम्हारी entry हो जाएगी। वो तैयार हो गए। कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसा नहीं है कि कोई नौजवान जाना नहीं चाहता, लेकिन कोई उसको समझाए तो। चीजें छोटी-छोटी होती हैं लेकिन बहुत बड़ा बदलाव लाती है, बहुत बड़ा बदलाव लाती है। और आज, job market एक इतना बड़ी field है, क्योंकि हर किसी को कोई न कोई सेवादार की जरूरत होती है, किसी न किसी की व्यवस्था हो जाए। मैं जब skill development के लिए मैं काफी दिमाग खपाता रहता था क्योंकि मुझे लगता है कि ये और आज से नहीं मैं कई वर्षों से इसमें ज़रा रुचि लेता था। मैंने बहुत साल पहले ये सबरवाल जी को अपने यहां भाषण के लिए बुलाया था। जब मैंने सुना कि ये job market में काफी काम कर रहे है तो मैंने कहा कि भई बताओ तुम क्या-क्या सोचते हो। बहुत साल पहले की बात है। कहने का तात्पर्य यह है कि मुझे पता लग रहा था कि इसका एक अलग महत्व है। इस महत्व को हमें अनुभव करना चाहिए। एक बार मैंने बहुत छोटी उम्र में दादा धर्माधिकारी को मैं पढ़ता रहता था। आचार्य विनोबा भावे के साथी थे। Gandhian थे और बड़े ही समर्पित Gandhian थे। चिंतक थे। एक बढ़िया उन्होंने अपना एक प्रसंग लिखा है। कोई नौजवान उनके पास गया कि दादा कहीं नौकरी मिल जाए, काम मिल जाए तो उन्होंने पूछा कि तुम्हें क्या आता है, बोले कि मैं graduate हूं। तो कहा कि अरे भई मैं तुझे पूछ रहा हूं कि क्या आता है, अरे बोला मैं graduate हूं। अरे भई तुम graduate हो मैंने सुन लिया, मुझे समझ आ गया, तुम्हें आता क्या है। नहीं बोले कि मैं graduate हूं। मुझे कुछ काम तो मिले। चल अरे भई तुझे driving आता है क्या, तुम्हें बर्तन साफ करना आता है, तुम्हें रोटी पकाना आता है क्या, कपड़े धोना आता है। क्या आता है बताओ न। अरे मैं तो केवल graduate हूं। दादा धर्माधिकारी ने बढ़िया ढंग से एक चीज को लिखा है, अपने स्वानुभवों से लिखा है और इसलिए आवश्यक है कि उसको जीवन जीने का भी कौशल्य इस हस्त कौशल्य से आता है। जो हाथ से वो कला सीखता है जो ताकत आती है उससे जीवन जीवन्य का कौशल्य प्राप्त होता है और उसको प्राप्त कराने की दिशा में हमारा एक प्रयास है। हम उसे entrepreneur भी बनाना चाहते हैं।
अब आप देखिए tourism हमारे देश में develop कर रहा है। जो स्थान tourist destination है, वहां tourist guide तैयार करने की कोई institute है क्या, नहीं है। वहां पर language courses है क्या। अगर आगरा है, tourist destination है तो आगरा के अंदर language courses सबसे ज्यादा क्यों नहीं होने चाहिए। ताकि वहां पर उनके बच्चों को सहज रूप से लैंगवेज आती हो, tourist को लगेगा अपनापन, उसकी भाषा में बात करेगा। ये अगर हमें tourism develop करना है तो हमें हमारे वहां के driver को manners सिखाने से लेकर के language से communicate करने वाले लोगों तक की एक सहज समाज में फौज खड़ी करनी पड़ती है, जिनकी रोजी-रोटी भी उसी से चलती है। हमें जब तक इस प्रकार का टारगेटिड और जो कि देश की ताकत को बढ़ाता है, service sector में भी हम specific चीजों को करें तो बदलाव आता है। आज देश में tourism को बढ़ावा देने के लिए बहुत बड़ी ताकत है, बहुत बड़ी ताकत है। लेकिन उस प्रकार से जो human resource तैयार करने चाहिए, वो human resource करने के लिए हम उतने उदासीन होते हैं। मैं तो इस मत का हूं कि जो-जो tourist destination हो वहां पर हमेशा competition होते रहने चाहिए guide के। who is the best guide । कौन उस शहर का बढ़िया से बढ़िया वर्णन करता है। Competition हो, ईनाम देते रहो, आपको बढ़िया से बढिया, आपको ढेर सारे नौजवान मिलते रहेंगे जो history बताएंगे, archaeology बताएंगे, architecture बताएंगे, व्यक्तियों के नाम बताएंगे। सब पचासों सवालों के जवाब दे पाएंगे। धीरे-धीरे potential खड़ा हो जाएगा। कहने का मेरा तात्पर्य यह है कि हमारे यहां संभावनाएं बहुत है, मुझे जब मैं skill में काम करता था, मैंने क्या किया, हमारे यहां अफसर लोग आए हुए थे। चल रहा था, कैसे करना हे, मैंने कहा कि एक काम करो भई, गर्भाधान से लेकर मृत्यु तक, जीवन में कितनी चीजों की आवश्यकता होती है, उसकी एक सूची बना लो और जो सूची बनेगी, उतनी skill चाहिए। तो उन अफसरों ने कहा अब हम सोचते हैं। उन्होंने सरसरी नज़र में दो-तीन दिन बैठे बनाए तो कोई nine hundred and twenty six चीजें लेकर के आएं। कि वो जन्म के बाद उसको ये चाहिए, पढ़ाई के समय ये लगेगा, शादी के समय गुलदस्ता लगेगा। सारी चीजों की लिस्ट बनाई। कोई nine hundred and twenty six चीजें ऐसे ही सरसरी, वैसे बनाई जाए तो शायद दो हजार निकलेंगी। मैंने कहा कि इन nine hundred and twenty six का skill development है क्या तुम्हारे पास। लोगों को जरुरत है। ये हमने सोचना होगा। अगर भई गुलदस्ते की जरुरत है तो गुलदस्ता देना और value addition कैसे होता है, मैं हैरान था, मैं कोई अगर technology नई आए तो देखने का ज़रा शौकीन हूं।
एक बार मैं एक tribal belt में गया। तो वहां मुझे, वहां के आदिवासी बच्चियों ने एक गुलदस्ता दिया और मैं हैरान था कि उस गुलदस्ते के हर फूल पर मेरी तस्वीर लगाई हुई थी। मेरे लिए वो surprise था। मुझे लगा कि उन्होंने चिपकाया होगा। तो मैंने ज़रा यूं करके देखा तो ऐसा तो नहीं लगा। तो मैंने फिर उनको वापिस बुलाया। मैंने कहा कि ये क्या है, ये tribal बच्चियों की मैं बात कर रहा हूं। बोले, हमने गुलाब की पत्तियों पर laser technique से आपकी फोटो छापी है। अब आप बताइए value addition करने की क्या सोच होती है। एक आदिवासी इलाके की गरीब स्कूल की बच्ची को भी ये दिमाग में आता है कि टैक्नोलॉजी का कैसे उपयोग होता है। मतलब work dynamics बदल रहे हैं। हम उसके लिए सज्ज कैसे करे। मुझे तो लगता है कि कोई ये चलाए न कि भई एक घंटे का training , board लगाकर बैठ जाए। क्या, mobile phone कैसे उपयोग किया जाए, मैं सिखाउंगा। मैं बताता हूं साहब लोग लग के queue में खड़े हो जाएंगे। बहुत लोग है जो ये तो ढूंढते रहते है कि नया model कौन सा आया है। लेकिन उनको ये पता नहीं होता है कि ये green या red button के सिवाए इसका क्या उपयोग होता है। अब किसी के दिमाग में है हां भई मैं ये करूंगा, आप देखिए लोग जाएंगे कि अच्छा भई मैं नया लाया हूं अच्छा बता कैसे operate करेंगे, क्या-क्या चीजें होती हैं। सीखने क लिए लोग जाएंगे, उपयोग करेंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि हमें ये जोड़ना है, हमें कौशल्य के साथ जीवन जीने की क्षमता, कौशल्य के साथ रोजगार के अवसर, कौशल्य के साथ विश्व के अंदर भारत का डंका बजाने का प्रयास। इस लक्ष्य को लेकर हम इस काम को लेकर के चल रहे हैं मैं राजीव प्रताप रूडी और उनकी पूरी टीम का बधाई देता हूं जिस प्रकार से इस कार्यक्रम की रचना की है। जिस प्रकार से इस कार्यक्रम को आगे बढ़ाया है। और उसमें देखिए innovation कैसे होते हैं। मुझे बाहर, आपको भी मौका मिले तो देखिए एक बच्ची ने ये जो ship के अंदर कंटेनर होते हैं। वो जो rejected माल जो होता है container उसको लगाया है और उसने कंटेनर को ही अंदर school में convert कर दिया है। जो कि discard होने वाला था। वो टूटने के लिए जाने वाला था। देखिए कैसे लोग अपने कौशल्य का उपयोग करते हैं। किस प्रकार से चीजों में professionalism आ रहा है। हमें इन चीजों को लाना है और मैं मानता हूं कि भारत के नौजवानों के पास भरपूर क्षमताएं हैं, उसको अवसर मिलने चाहिए। वो किसी भी चुनौतियों को चुनौती देने के लिए सामथर्यवान होता है और अब भारत जो कि demographic dividend के लिए गर्व करता है उस demographic dividend की गारंटी skill में है, trained man power में है और उस trained man power schools पर बल देकर के हम आगे बढ़े, यहीं मेरी शुभकामनाएं हैं और इन नौजवान बच्चों को जिन्होंने दुनिया में हमारा नाम रोशन किया है। वे अब जा रहे हैं। World Competition में, हम उनको बहुत-बहुत शुभकामनाएं दें।
मैं आशा करता हूं कि हम दुनिया में इस क्षेत्र में हमारी पहचान बनाएं कि हां भई हमारे नौजवानों में कौशल्य के अंदर और ये Olympic से कम नहीं होता इनका ये game, इनका ये कौशल्य दिखाना। बड़ा महत्वपूर्ण होता है। हमारे देश में अभी ध्यान नहीं गया क्योंकि वो नहीं है, glamour नहीं है। लेकिन धीरे-धीरे आ जाएगा। आज शुरू किया है मैंने। धीरे-धीरे दुनिया का ध्यान जाएगा।
बहुत-बहुत धन्यवाद।
क्या क्या है कौशल विकास के लिए योजनाएं
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, और जानें
- राष्ट्रीय कौशल विकास निगम , और जानें
- कौशल विकास पहल योजना, और जानें
- वी-स्किल्स, और जानें
- राजस्थान नॉलेज कारपोरेशन, और जानें , अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के कारपोरेशन।
- National Skill Certification and Monetory Reward Scheme, और जानें
- eGovernance Training and Certification, Maharashtra, और जानें , अन्य राज्यों में भी इसी प्रकार के कारपोरेशन।
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मैं सुधा गुप्ता काम करना चाहती हुँ और अपने साथ और औरतो को भी साथ जोड़ना चाहती हुँ घर रैह कर. मेरे पास काम क्या करू इस का न तोह अनुभव है न धन क्या करू समझ नहीं आ रहा। आप हमे बता सकते है क्या क़र सकते है हम।
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मेंरा नाम विमलपाल है मै electric का काम करता हूँ मै रोज सुबह schoolsऔर पार्को में योग प्राणायाम सिखाता हूं निशुल्क समाज सेवा के तोर पर २ घंटे देता हूं मै चाहताहूं मुझे योग में ही कोइ प्रमाणपत्र मिल जाए जैसे Qci एक संस्था है क्या मूझे मिल सकता है मै आठवीं तक ही पढ पाया था मेरी ऐज ३६ साल है मै योग मे ही आगे बढना चाहता हूं कृपया मुझे सलाह दें
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परम पूजनीय प्रधानमंत्री जी भारत के कवछ जयसा की इस देश की आवश्कता था वैसा इस देश को रछ्क मिला उतर प्रदेश की जनता की ओर से सादर नमन करता हुआ हम लोग देश की आजादी के बाद मेरे पिता जी बीजेपी थे और हम लोग भी है कोई पलटी के नेता घर पर नही आते थे गाँव में आते थे चले जाते थे अब ऐसा लगता है मेरा देश अभी आजाद हुआ आज भले गरीब है खुशी मिलती है आप की जय हो 2019 में फ़िर होगे प्रधानमंत्री जनता आप के साथ है
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Sir Mene Ek project bnaya h eske liye mujhe skill india se pererdna lekr pr eske liye mujhe Apki help chahiye mera no 9811040738
sir
maine electronic machanich se iti kiya hain aur Mujhy electronic ke chetr main knwoleg chahiye aur swayam ka rozgar karna hain main Kya karu Mujhy bataye
9993505871
Sir ji Hmara date of birth 11,6,2000 hai Hamko Addmisone krwana hai 12 class me hu abhi camputer kors krna hai ho Jayega kya please sir ji 8527300197call Kar ke bta dijia sir please
सर मैं पुर्बी चम्पारण बिहार से है मैं ब्रांच खोलना चाहता हु
Sir mujhe bhi kam karna hai aap k pass Koi kam hai to aap mujhe plzzz sir
My phone numbar plz sir coll mi 9708153107
हमारे महाराष्ट्र के परभणी जिल्हे मे सोनपेठ तहसील हे सरजी याहाके आय.टी.आय को सरकारी जगह नही होनेसे हमारे छात्र को अनेक कोर्स पढने को मिलते नही हे टीचर कम हे तो पढाई के लिये अनेक कोर्स होणा और टीचर होणा जरुरी हे पहिले सरकारी जगह देके टीचर दिगीये धन्यवाद
Sir mujhe job chahiye ya kuch
Margdarshan m.com +pgdca kiya hai
Good morning ..
My all indan brother and sister …
I am creating a big team of svrojgar hind army …
Far make berojgar muft Bharat …
So please join the group …
We are all ( Bhartiy svrojgar misan) parivar
Allwes with you far svrojgar problem help
Regards..
Ankit Kumar shukla..
Yuva samaj sevi
Bhartiy svrojgar misan privar
what no-one 9984078009
– akshukl697@gmail.com
Sir mana m. A pass Hu and computer basik Ker liya h mara liya kam ho to jarur bataya please
Sar me elektik kam kar hu jeseki fan or pani ki mortar aadi ripeyar karta hu or company ki besik nolige hai mere pas job nhi hai or me 2 sal se free hu sar meri hello karo…mera content number 7737344821 plz….. Hellp sar
Sat me Electrical jade kam kar sakta hu jese ki fan or kular pani ki motar and mono bolok motar aadi ripeyar karne ka ma Sikhs hai mere dukan kholne ke liye pass nhi hai or me do sal se free hu sat meri hellp karo plz.. Mera number 7737344821
7694040489
Sir mera nam abhijeet kumar hai mai computer ka adca cource kar ke baitha hu pless mere liye koi job hai to bataye
Mera mobile no 8434148717 hai
मुझे बचप्पन से सोख ह एलोक्ट्रीन सिन बनने का।।
म अपने घर पर ही छोटी सी दुकान खोल के काम करता हु जिसमे टीवी रेडियो कूलर फेन ट्यूबलाइट मोटर लाईट फिटिंग आदि काम म अपने गांव में करता हु।।
लेकिन म आगे बढ़ना चाहता हु।। मुझे कहि इस से बेहर नोकरी मिलती ह तो मुझे जरूर बताये।।
Hi. ,
Mera UPSDM ( utter pradesh skills doploment mission) course complete ho gaya h mujhe job krna h .
I want to job
Mob :. 9838424044
Main Manoj kumar from up
Meri qualification B.A. hai or main bahut bada plumber banna chahata hun main kya karun agar mere lite koi rasta ho to plz mujhe rasta dikhao
Aapki ati kripa hogi.
Kanpur you
Sir hum ek bar m ek he Course Kre Sakte h? Or krna chaiye to valid ni Rhega kya
sir mene History se M.A. kiya h lekin koi wark nahi h berojgar hu sir margdarsan kare plz.
Sir mane B.A kar rkhi h muje skill india ki tarf se jo chahiye
Sir Mera medical equipment sales & service ka chota sa business h , but Abhi iss sector m money problem hone ke Karan or training ki kami ke Karan problem aa rahi h tho main kuch Naya try karna chahta hu or ho sake tho agar medical field m bhi kuch ho sake tho muje guidances chahiye
मैं नए नए लड़को को फ्रीज़ और ऐसी, आर ओ, कॉमर्शियल किचन माशीनो को काम सिखाता हु।
NRB Refrigeration solution company
है
मैं क्याकर सकता हूँ क्या सरकार मुझे किसी भी प्रकार की मददत देगी।