आज के वक़्त में वाहनों ने हमारा काम कितना आसान बना दिया है, कैसे हम कम समय में एक स्थान से दूसरे स्थान चले जातें हैं. इन वाहनों के चलने का एक मात्र स्रोत है ईंधन। ईंधन जैसे पेट्रोल और डीजल जो हमें सिर्फ पेट्रोल पम्पस पर ही उपलब्ध होता है. वक़्त चाहे नोटबंदी का था चाहे छुटपुट हड़तालों का इन सभी ने हमें पेट्रोल की अहमियत समझा दी. लेकिन, आज से ठीक एक महीने बाद एक ऐसा फैसला लागु होने जा रहा है, जिससे हम आम जनता को बहुत ही बड़ी समस्या होने वाली है.
कंसोरटियम आॅफ इंडियन पेट्रोलियम डीलर्स यानी सीआर्इपीडी और भारत की तीन प्रमुख तेल कंपनियों की 4 नवंबर,2016 को एक बैठक हुई थी, जिसमे पेट्रोल डीलर्स ने इन कंपनियों के सामने अपने कम मार्जिन से जुडी 11 समस्याओं को सामने रखा था और ये कंपनियों ने इन 11 मांगों पर सहमति बनाइ थी और आश्वासन दिया गया था कि 31 दिसंबर 2016 तक सभी मांगे लागू कर दी जाएंगी लेकिन आज तक डीलर का मार्जन बढ़ाने की मांग मानने के अलावा कोई मांग पूरी नहीं की है।
तेल कंपनियों की लगातार अनदेखी से गुस्साए पेट्रोलियम डीलर्स ने 10 मर्इ के बाद प्रत्येक रविवार को पेट्रोल पंप बंद रखने का एेलान कर दिया है। इतना ही नहीं यदि इसके बाद भी पेट्रोलियम कंपनियों ने समझदारी नहीं दिखाई तो पेट्रोल पंपों को रात में भी बंद रखा जाएगा। इस फैसले के लागू होने के बाद देशभर में करीब 53 हज़ार पेट्रोल पंपों पर केवल दिन के समय ही पेट्रोल आैर डीजल मिल सकेेगा।
हालाँकि बाजार के जानकारों का मानना है कि ऐसा होने से पहले कोई न कोई सुलह का रास्ता निकाल लिया जायेगा। लेकिन, अगर ऐसा हुआ तो सबसे बड़ी समस्या आम जनता को होने वाली है. पेट्रोल पंपों पर भीड़ तो बढ़ेगी ही बढ़ेगी और सप्ताहांत पर दूर या घर जाने वालों के लिए भी नई समस्या खड़ी हो जाएगी।