नोटबंदी के बाद भारतीय मुद्रा को शक भरी निगाह से देखा जाने लगा है. दस के सिक्के के साथ तो गजब का सौतेला व्यवहार किया जा रहा है. हालात ऐसे हैं कि दस का सिक्का देखकर आटोरिक्शा, बस, दुकान, बाजार और यहां तक कि भिखारी भी हाथ पीछे खींच ले रहे हैं.
दस का सिक्का कोई ले भी लिया तो सामने वाला या कोई करीबी यह कहता है कि ‘भाई ठीक से देख लो, असली है कि नहीं!’ मतलब कि तरह – तरह की बात जैसे कि सिक्का नहीं कोई बहुत बड़ा खजाना डूब जाएगा. डर भी जायज हैं क्योंकि लोगों को लगता है कि पांच सौ और एक हजार के नोट की तरह इसके साथ भी सरकार कुछ घोषणा ना कर दे! पर डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम बताएंगे कि कौन से सिक्के असलियत क्या है.
दस के सिक्के को परखें-जानें-
बाजार कई प्रकार के दस के सिक्के हैं जिसके कारण लोगों का शक और ज्यादा घर कर गया है. इस कारण से केवल लोग नहीं बैंक और सरकार भी परेशान हैं. इस परेशानी को दूर करने के लिए बैंक का कहना है कि शेरावाली की फोटो वाला सिक्का, संसद की तस्वीर वाला सिक्का, बीच में संख्या में ‘10’ लिखा हुआ सिक्का, होमी भाभा की तस्वीर वाला सिक्का, महात्मा गांधी की तस्वीर वाला सिक्का सहित अन्य सभी सिक्के मान्य हैं. केन्द्रीय बैंक के अनुसार इन सिक्कों को विभिन्न विशेष मौकों पर जारी किया गया है.
आरबीआई की घोषणा-
भारतीय रिजर्व बैंक आॅफ इंडिया का कहना है कि दस के सिक्के पर महात्मा गांधी, शेरावाली या जिसकी भी फोटो है, सब असली है. दरअसल, हर प्रकार के खास मौके पर ये अलग अलग प्रकार के फोटो वाले सिक्के जारी किए गए हैं. इसको लेकर जागरूकता फैलाने के लिए आरबीआई ने मीडिया में विज्ञापन के जरिए बताया भी है.
दस का सिक्का नकली नहीं-
-दस सिक्का नकली नहीं है क्योंकि इसकी घोषणा आरबीआई कर चुका है.
-दस रूपये का एक नकली सिक्का बनने में पंद्रह से बीस रुपए का लागत आता है तो फिर सोचिए कि कोई घाटे का कारोबार क्यूँ करेगा?
दस का सिक्का ना लेने पर राजद्रोह-
संविधान के अनुसार यदि कोई भारतीय भारत की असली मुद्रा को लेने से इंकार करता है तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी. हो सकता है कि उस पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज हो जाए. इसलिये दस का सिक्का लेने इंकार ना करें और यदि कोई नहीं लेता है तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज करें.