आंखों से प्यारा व कोमल-नाजुक अंग कोई नहीं है. पर हम सभी लोग फेयरनेस क्रीम, फेशियल आदि का ख्याल रखते हैं और आंखों को नजरअंदाज करते हैं.
आंखों की महत्ता को हम भलीभांति जानते हैं. बिना आंखों के दुनिया एक घुप्प अँधेरा कुंआ जैसा है. इसलिए आंखों का ख्याल रखना चाहिए. बिलकुल उसी प्रकार, जैसे कि अन्य अंगों का रखते हैं. क्योंकि बिना आंखों के हमारे लिए जीना असंभव है. बढते प्रदूषण व अन्य कारणों से हमारी आंखों का खतरा बढ़ रहा है फिर भी हम चैन से सो रहे हैं.
आधुनिक युग में सभी लोग मोबाइल-लैपटाॅप, कंप्यूटर पर निर्भर हो गये हैं. अब कोई ऐसा दफ्तर नहीं है जिसमें कंप्यूटर पर काम ना हो. रजिस्टर, कलम का जमाना तो कोसो दूर हो चुका है. हालांकि इससे काम काफी तेजी व पुख्ता से हो रहा है. लेकिन हम इस रफ्तार में अपने स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं.
बिलकुल हमें नई मशीनों, लैपटॉप, मोबाइल, कंप्यूटर आदि का प्रयोग करना चाहिए. हमें नई तकनीक से जुड़े रहकर आगे बढ़ने के साथ अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना होगा. क्योंकि बिना स्वास्थ्य के जीवन जीने से बेहतर है कि ना जीयो. पर ऐसा भी नहीं है कि हम अपने आंखों का बचाव नहीं कर सकते हैं.
ऐसे पहुंचता है नुकसान-
मोबाइल-लैपटाॅप आदि की रोशनी से आंखों को सबसे ज्यादा नुकसान होता है, ठीक स्वीट प्वाइजन की तरह. जब ऐसे लक्षण दिखे तो हो जाए सतर्क-
-आंखों में खुजली होना.
-आंखों का लाल हो जाना.
-आंखों से पानी निकलना.
-आंखों के नीचे कालापन.
-मोबाइल-लैपटाॅप से आंख हटाने पर धुंधला दिखना और कभी कभी अंधेरा छाना.
अपनाएं यह उपाय-
-हर सुबह मुंह में पूरी तरह पानी भरने के बाद नल के पानी से आंखों को धोएं.
-दिन में दो-तीन बार आंखों को पानी से साफ करें.
-मोबाइल-लैपटाॅप पर एकटक ना देंखे.
-लैपटॉप-कंप्यूटर से एक हाथ की दूरी बना कर उपयोग करें.
-मोबाइल प्रयोग भी नजदीक से ना करें.
-आंखों में आईटोन नामक आई ड्रॉप हफ्ते में दो बार या चिकित्सक की सलाह लेकर प्रयोग करें.
-आंखों का लालीपन, पानी गिरना और अंधेरा छाना फिर भी दूर ना हो तो बिना देरी किए डॉक्टर से मिलें.
-मोबाइल को रात में बिस्तर से दूर रखें.
-सुबह उठकर मोबाइल-लैपटाॅप पर काम ना करें.
-ज्यादा फ्लैश के साथ फोटो ना खिंचावाएं.
-मोबाइल-लैपटाॅप का ब्राइटनेस कम रखें और रात में ब्राइटनेस जीरो कर दें.