अब हर कुछ स्मार्ट लूक वाला चाहिए.
बदलते जमाने के साथ लोगों की पसंद भी बदल रही है. कागजात को पहले लेमिनेशन करवाया जाता था लेकिन अब स्मार्ट कार्ड की तरह बनवाने का प्रचलन जोरो पर है. अब वोटर आईडी से लेकर तमाम पहचान पत्र को प्लास्टिक, पीवीसी या यूं कहें कि स्मार्ट कार्ड की तरह बनवाया जा रहा है.
हालही में कुछ माह पहले आधार कार्ड को भी प्लास्टिक वाला, स्मार्ट कार्ड की तरह बनवाने की खबर खूब चली और शायद कुछ लोगों ने बनवा भी लिया. लेकिन अभी बहुत सारे लोगों ने नहीं बनवाया है. यदि जिन लोगों ने नहीं बनवाया है उनके लिए अच्छी बात है. इसके अलावा जो लोग बनवाने की सोच रहें हैं उनको हमारी जानकारी पूरी तरह से पढ़ लेनी चाहिए. ताकि इसके संभावित नुकसान या दिखावटी फायदे की जानकारी मिल सके.
यूआइडीएआइ का कहना-
यूआइडीएआइ यानी कि आधार कार्ड बनाने वाली संस्था जो कि भारत सरकार है. सीधे तौर पर कहिए कि सरकारी संस्थान है. इसने साफ तौर पर कह दिया है कि प्लास्टिक वाला आधार कार्ड ना बनवाएं. जब इस आधार कार्ड बनवाने वाली संस्थान ने मना कर दिया है तो फिर बनवाने की बात करना ही मूर्खता है. लेकिन अब आपके जेहन में सवाल उठेगा कि आखिर ऐसा क्यूं नहीं बनवाया जा सकता. तो जानिए कि आखिर इससे क्या नुकसान उठाना पड़ सकता है.
प्लास्टिक वाले आधार कार्ड का नुकसान-
इसका सबसे बड़ा नुकसान हो सकता है डेटा लिक होने का. जी हां, अगर आप आधार को प्लास्टिक कार्ड में बनवाएंगे तो सावधान हो जाइए क्योंकि ऐसा करने से आपका डाटा गलत हाथों में जा सकता है. साथ ही आधार का क्यूआर भी काम करना बंद कर सकता है. अधिकारिक संस्थान यूआइडीएआइ की ओर से ऐसा कार्ड नहीं बनवाया जा रहा है. तो ऐसे में अनाधिकृत संस्था से बनवाने का मतलब आप सोच ही सकते हैं.
जरूरी नहीं है-
- यूआईडीएआई ने जारी बयान में कहा है कि आधार का नंबर या उसका प्रिंट ही पूरी तरह से मान्य है. प्लास्टिक कार्ड बनवाने की आवश्यकता नहीं. कुछ लोग 70-300 रुपए लेकर लोगों के प्लास्टिक आधार बना रहे हैं जो कि अनावश्यक है.
- प्लास्टिक या पीवीसी आधार स्मार्ट कार्ड की जानकारी को यदि दुबारा अपडेट करना चाहें तो फिर से आपको पैसे खर्च करने होंगे. साथ ही भविष्य में दिक्कत हो सकती है.
- कागज वाले आधार कार्ड को ही लेमिनेशन करवाकर रखें. इससे आपकी जानकारी अधिकृत संस्थान के पास रहेगी और अनावश्यक पैसा खर्च नहीं होगा.