पेनड्राइव की हमें रोजमर्रा की जिंदगी में आये दिन ही जरुरत पड़ती है। चाहे वो अपने पीसी में ऑपरेटिंग सिस्टम को इंस्टाल करने की बात हो या जरुरी फाइल्स के बैकअप लेना हो। हम किसी न किसी तरीके से पेनड्राइव का इस्तेमाल करतें ही हैं। ऐसे में हमें पेनड्राइव की खरीददारी करते समय कुछ जरुरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
यूएसबी पोर्ट:
आप जब भी पेनड्राइव लें। तो उसके लिखे फीचर्स में यूएसबी रेटिंग जरूर देखें की वह 2.0 है या 3.0 सामान्यतः 3.0 पोर्ट नीले रंग का होता है। 2.0 और 3.0 में फर्क डेटा के ट्रांसफर रेट का होता है। अगर सिस्टम और पेनड्राइव दोनों ही पोर्ट 3.0 फीचर होगा तब ही आपको 3.0 की हाई ट्रांसफर डेटा रेट मिलेगा और आप फाइल्स को तेज़ी से ले और दे सकेंगे।
ब्रांड नेम:
अक्सर हम देखतें है कि दो एक जैसे स्पेसिफिकेशन्स वाली पेनड्राइव की स्पीड अलग-अलग होती है और उनके दाम में भी फर्क होता है। ऐसा सिर्फ इसलिए है कि बड़ी और नामी कंपनियां बेहतर कंपोनेंट्स का इस्तेमाल करती हैं। इन डिवाइसों की परफॉरमेंस तो अछि होती ही है, साथ ही साथ ये लंबे समय तक चलतें भी हैं।
ड्यूल ड्राइव:
पेनड्राइव का एक और बेहतर विकल्प है ड्यूल ड्राइव इसमें आपको डिवाइस के एक तरफ सामान्य यूएसबी पोर्ट मिलता है और दूसरी तरफ एंड्राइड फ़ोन्स से कनेक्ट होने वाला माइक्रो यूएसबी या फिर यूएसबी सी-पोर्ट मिल जाता है। जो आपके फ़ोन और पीसी दोनों के लिए काम करता है।
मॉडल साइज:
जरुरी नहीं है कि पतली पेनड्राइव बेहतर ही हों, कई बार पतली ओएन्द्रिवे में जगह न होने की वजह से क्वालिटी कंपोनेंट्स से संझुट कर लिया जाता है, इसलिए कोशिश करें की अच्छी कंपनी की थोड़ी मोटी पेनड्राइव ही लें।
फिंगरप्रिंट फ़्लैश ड्राइव:
अगर आप अपनी गोपनीयता से समझौता नहीं करतें और अपनी पेनड्राइव में जरुरी और सिक्योर डेटा लेकर चलातें हैं, तो ऐसे में आपको नयी तकनिकी वाले फिंगरप्रिंट फ़्लैश ड्राइव का इस्तेमाल करना चाहिए, जो सिर्फ आपके फिंगरप्रिंट के निशान से ही खुलेगी।