परमपिता परमात्मा – निराकार, ज्योर्तिर्बिंदु, एक ओमकार, सतनाम, प्रकाश बिंदु, ज्ञान सागर, प्रेम आनंद सागर, सत् चित् आनंद स्वरुप, जन्म मरण से न्यारे, अजन्मे, हम सर्व आत्माओं के पिता
मैं आत्मा कौन हूँ? कहाँ से आई हूँ? मुझ आत्मा का पिता परमात्मा कौन है, कहाँ है? ये विश्व क्या है? ये समय क्या है? मुक्ति क्या है? जीवन मुक्ति क्या है? सुख कहाँ है? शांति कहाँ है?
ऐसे ही अनेकों प्रश्नों और उलझनों से बाहर आने के लिये एक परमपिता के ज्ञान को पाने का आमंत्रण.
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